T 2333 – कवि तो कहते हैं कि सज्जनों का मन मख्खन की तरह कोमल होता है । मगर औरों की पीडा देखकर सज्जन पिघलते है, मख्खन नहीं पिघलता ।।

T 2333 –
कवि तो कहते हैं कि सज्जनों का मन मख्खन की तरह कोमल होता है ।
मगर औरों की पीडा देखकर सज्जन पिघलते है, मख्खन नहीं पिघलता ।।