From BigBEfamily.com Our Humble Tribute to Mr. Amitabh Bachchan

T 3124 – जीवन का सत्य और शब्द का सत्य , अलग अलग इकाइयाँ हैं । संसार का सारा साहित्य , जो शब्द का साहित्य है , जीवन को पकड़ने का एक बहुत निर्बल और निष्फल प्रयास है । जीवन के सत्य और शब्द के सत्य में कोई साम्य नहीं है ।
जो चीज़ रक्त से लिखी जाती है , वो स्याही से लिखी जा सकती है ?