T 3981 – सादर प्रणाम ।
*प्रियो भवति दानेन प्रियवादेन चापरः।*
*मन्त्रंमूलबलेनान्यो यः प्रियः प्रिय एव सः॥*
अर्थात्-
कुछ लोग उपहार देने पर प्रिय बनते हैं जबकि कुछ मनोहर बातों से, कुछ अन्य मन्त्रबल से,पर जिन्हें आप प्रिय हैं,वो आपके बिना कुछ किये ही प्रिय हैं।
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