T 3910 – डॉ बच्चन जी लिखते हैं … कविता की प्रजा दो प्रकार की होती है। एक वह, जो कविता को बौद्धिक संवेदन देती है , उससे तटस्थ रहती है , उसे कौतूहल की दृष्टि से देखती है। दूसरी वह जो उसे हार्दिक सहानुभूति देती है , उसकी भावधारा में बहती है , उसे अपने प्राणों में रसा-बसा लेती है।