T 4259 –
अब हम नाथ सनाथ सब भए देखि प्रभु पाय ।
भाग हमारें आगमनु राउर कोसलराय ।। १३५ ।।
~ श्री रामचरितमानस
हे नाथ ! प्रभु ( आप ) के चरणों का दर्शन पाकर अब हम सब सनाथ हो गए ।
हे कोसलराज ! हमारे ही भाग्य से आपका यहाँ शुभागमन हुआ है ।
T 4259 –
अब हम नाथ सनाथ सब भए देखि प्रभु पाय ।
भाग हमारें आगमनु राउर कोसलराय ।। १३५ ।।
~ श्री रामचरितमानस
हे नाथ ! प्रभु ( आप ) के चरणों का दर्शन पाकर अब हम सब सनाथ हो गए ।
हे कोसलराज ! हमारे ही भाग्य से आपका यहाँ शुभागमन हुआ है ।