T 3952 –
ये कैसा सौदा वक्त मुझसे कर गया
तजुर्बे देके मेरी नादानियां ले गया…
*कश्मकश*
साहिल पे बैठा मैं…
कभी ये सोचता हूं ,
कौन ज़्यादा मजबूर है ?
ये किनारा..
जो चल नहीं सकता,
या वो लहर ..
जो ठहर नहीं सकती ?
——————
अनाम
T 3952 –
ये कैसा सौदा वक्त मुझसे कर गया
तजुर्बे देके मेरी नादानियां ले गया…
*कश्मकश*
साहिल पे बैठा मैं…
कभी ये सोचता हूं ,
कौन ज़्यादा मजबूर है ?
ये किनारा..
जो चल नहीं सकता,
या वो लहर ..
जो ठहर नहीं सकती ?
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अनाम